Saturday, January 8, 2011

हमारा मीडिया

हमारा मीडिया।
कहने को तो काफी शक्तिशाली पर वो कहते है ना कि जब आपके पास पॉवर आती है तो ये हर किसी के बस की बात नहीं होती की उसको सही जगह पर उपयोग करे। जैसा रावण के पास पॉवर थी पर उसने उसका गलत उपयोग किया। वैसा ही हमारा मीडिया है। चाहता तो मीडिया हनुमान बन सकता था पर खुद मीडिया ने चुना है अपना रास्ता रावण बनाने का।
मिर्च मसाला, गोस्सिप, सबसे तेज़ खबर, टॉप पर बने रहने के स्केंडल का तड़का यही कुछ रह गया है मीडिया के पास। यही मीडिया चाहे तो देश में युवाओ के बिच जागरूकता फैला कर उन्हें आगे ला सकती है। पर ऐसा हुआ तो शायद उनकी टी आर पी कम हो जाएगी। आज हमारे पास बिग्ग बॉस, सच का सामना, राज़ पिछले जनम का, सांस-बहु देखने कि फुर्सत ही फुर्सत है। पर अगर कही डॉक्युमेंट्री आ रही हो हमारी आजादी के बारे में या फिर देश में फैले भ्रष्टाचार के बारे में, या किन्ही भूले बिसरे देशभक्तों के बारे में तो हमे फुर्सत नहीं है इन सबके लिए।
ये हमही लोग है जिन्होंने मीडिया को ये सब दिखाने के लिए मजबूर कर दिया है। ये हमारी ही आदत है कि जब वो लोग किसी खबर को ज्यादा मिर्च मसाला लगा कर नहीं बताते तो हमारे हाथ रिमोट अपने आप चलने लगते है और हम लोग ढूंढने लगते है कही कोई मसाला मिल जाये। हम न्यूज़ देखते है सिर्फ इसलिए कि हमे आमिर, शाहरुख़, सलमान, कटरीना, अमिताभ, ऐश्वर्या कि व्यक्तिगत ज़िन्दगी का ब्यौरा मिल जाये। शायद हमे इतनी फुर्सत नहीं है कि हम लोग देश के बारे में सोचे। शायद हम लोगो कि ही जरूरते मीडिया पूरी कर रहा है। क्योकि जो दिखता है वो बिकता है। हम लोग मार्केटिंग और कॉम्पिटिशन के दौर में जी रहे है। हमें शायद ये जानना जरुरी है कि टाइगर वूड्स कि लाइफ में क्या चल रहा है और कितनी लडकियों के साथ उनकी रास लीला दिखयी जाती है।
शायद वक़्त है कि हम जगे इस चिर निंद्रा से और आवाज बुलंद करे अपनी। शायद वक़्त है आन्दोलन का और जनता और युवा को अपनी ताकत का नजारा सरकार और मीडिया को दिखाने का।
जय हिंद। वन्दे मातरम्





NAIEM....

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