Sunday, January 2, 2011

क्या हम काबिल है महाशक्ति कहलाने के

आज सुबह सुबह अपने मेल बॉक्स में एक ईमेल पढ़ा, जिसमे स्वतंत्र कश्मीर की मांग कर रहे कुछ लोग भारतीय झंडे को जला रहे थे। उसमे कुछ तस्वीर भी दी हुई थी। मुझे सिर्फ थोडा आश्चर्य हुआ की जिन लोगो ने ये तस्वीर ली, वो लोग क्या कर रहे थे उस वक़्त? सिर्फ तमाशा देख रहे थे??
क्या सच में हम महाशक्ति कहलाने के लायक हो गए है??? हमारे अखंड भारत होने के दावे कहाँ तक सही है???
सर से लेकर पाँव तक हम लोग झुलसे हुए हैं और कहते है की हम महाशक्ति हैं, तो ये कहा तक सच है?? कहाँ तक हम अपने आपको धोखा देते रहेंगे?
कभी कश्मीर को लेकर, कभी नक्सलवाद को लेकर, कभी लिट्टे को लेकर, कभी मराठा को लेकर, कभी गुजरात को लेकर, कभी आसाम को लेकर, कभी हिमाचल को लेकर, कभी अयोध्या को लेकर, कभी खालिस्तान को लेकर , कभी UP - बिहार को लेकर। बाकि क्या बचा???
क्या अभी भी हमारा अखंड भारत होने का दावा सही है?
बटें हुए है हम लोग। भाषा के नाम पर, क्षेत्र के नाम पर, धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, और बचा खुचा हमारे नेताओ ने मिलकर बाँट दिया।
हम लोग किसी बात का खड़े होकर तमाशा देख सकते हैं, पर हम लोगो में अन्याय का सामना करने की हिम्मत नहीं है। कुछ भी हो जाये हमे क्या?
क्या परमाणु शक्ति संपन्न होना हमारे महाशक्ति होने का प्रमाण है? हमारी हालत ऐसी है जैसे बहुत बड़े से घर में रहने वाले लोग एक दुसरे से नफरत करते हो। दिखावे के लिए हम एक घर में रहते है पर हम लोगो में आपसी समझ नहीं है और ना ही हम एक दुसरे को पसंद करते है।
अब समझ में आने लगा है कि क्यों हम लोगो ने १२०० साल गुलामी करके गुजारे। शायद उस मानसिकता से हम निकल नहीं पाए है आज तक और ना ही हम इतने दृढ निश्चयी है कि उससे निकल पाए। 
कोई राष्ट्र ध्वज का अपमान करेगा तो हम लोग उसकी तस्वीर लेकर अख़बारों और टीवी पर दिखा कर वाह वाही लुट सकते है पर हम लोग किसी को ये गलती करने पर रोक नहीं सकते। हम दुसरो को गलत साबित करने कि होड़ में शामिल हो सकते है पर हम अपनी गलतियों को सुधर नहीं सकते। हम दुसरे के घर में लगी आग का तमाशा देख सकते है, पर अपने घर में लगी आग बुझा नहीं सकते। 
शायद इसी का नाम है हिन्दुस्तानी होना। मुझे अपने स्कूल के दिनों का श्लोक याद आ रहा है ki - 






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